History -इतिहास 19
प्रश्न– सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में अन्तर (Difference between the Indus Valley Civilization and the Vedic Civilization) अथवा
सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता में क्या अन्तर हैं ? वर्णन करें।
(What is the difference between the Indus Valley Civilization and the Vedic Civilization ?)
उत्तर- सिन्धु घाटी की सभ्यता तथा वैदिक सभ्यता दोनों ही प्राचीन एवं गौरवमयी सभ्यताएं हैं। इन दोनों सभ्यताओं का मुक्तरूप से अध्ययन करने पर हमें पता चलता है कि इनकी विशेषताओं में जहां कुछ समानताएं पाई जाती हैं, वहां अनेक विषमताएं भी पाई जाती है। वैसे भी इन सभ्यताओं की समान विशेषताओं की अपेक्षा असमान विशेषताओं का अधिक प्रभाव है। इसका कारण यह है कि इनके काल में सम्भवतः 2 हजार वर्ष का अन्तर है। निम्नलिखित विवरण से इन सभ्यताओं की भिन्नता और अधिक स्पष्ट हो जाता है-
सिन्धु घाटी की सभ्यता | वैदिक सभ्यता |
१. घाटी की सभ्यता मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा की खुदाइयों से प्रकाश में आई इन स्थानों से प्राप्त अवशेष, अस्थि पिंजर, मुहरें तथा अन्य वस्तुएं हमें उस समय के लोगों के जीवन के विषय में जानकारी प्रदान करती हैं। २. यह सभ्यता आज से लगभग 5 हजार वर्ष पूर्व फली- फूली | ३. यह सभ्यता एक नागरिक सभ्यती थी। लोग एक योजना के अनुसार नगर बसाते थे और पक्के मकानों में रहते थे। ४. सिन्धु घाटी की खुदाई से स्तम्भों वाला एक हाल मिला है। सम्भवतः इस हाल में जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि एकत्रित होकर कानून बनाते थे। अतः अनुमान है कि इस काल में देश की शासन पद्धति गणतन्त्रात्मक थी। 5. सिन्धु घाटी के लोगों की परिवार प्रथा के विषय में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता। इन लोगों में वर्ण व्यवस्था तथा आश्रम व्यवस्था के प्रचलन के प्रमाण भी उपलब्ध नहीं है। 6. सिन्धु घाटी के लोगों के मनोरंजन के साधनों में घरेलू खेल प्रमुख थे। वे नृत्य, संगीत तथा शतरंज जैसी खेलें खेल कर अपना दिल बहलाया करते थे। 7. इस सभ्यता के लोग मूर्ति पूजा में विश्वास रखते थे ये मातृदेवी, शिव, पीपल, लिंग तथा योनि की पूजा करते थे। हवन, यज्ञ, अग्नि तथा प्रकृति की उपासना में उन्हें कोई विश्वास न था। 8. सिन्धु घाटी के लोगों का रंग काला था। शायद वे द्राविड जाति से सम्बन्धित थे। वे लोग अपने शवों को दबाते भी थे तथा जलाते भी थे। 9. सिन्धु घाटी के लोग लोहे के प्रयोग से अपरिचित थे। इसके विपरीत वे पत्थर का अधिक प्रयोग करते थे। 10. सिन्धु घाटी के लोग युद्ध कला में अधिक प्रवीण नहीं थे खुदाई में किसी प्रकार के विशेष अस्त्र-शस्त्र प्राप्त नहीं हुए। स्पष्ट है कि वे लोग शान्तिप्रिय थे। 11. सिन्धु घाटी के लोगों का महत्त्वपूर्ण पशु सांड था। वे घोड़े के महत्त्व से लगभग अपरिचित थे। 12. सिन्धु घाटी के लोगों के विदेशों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित थे। अफ़गानिस्तान, मिस्र, सुमेर तथा मैसोपोटामिया से उनका लेन-देन चलता रहता था। वे लोग समुद्री मार्गों से परिचित थे। वे वस्तुओं को तोलने के लिए निश्चित अनुपातों में बने हुए बाटों का प्रयोग करते थे। 13. सिन्धु घाटी के लोगों ने कोई साहित्यिक रचना नहीं की। आज तक उनकी लिपि ही एक समस्या बनी हुई है। परन्तु हो सकता है कि लिपि की गुत्थी सुलझते ही इस विषय में कुछ तथ्य प्रकाश में आयें। | 1. वैदिक सभ्यता का ज्ञान हमें वेदों, ब्राह्मण ग्रन्थों, उपनिषदों तथा महाकाव्यों आदि से ही प्राप्त होता है। इस सभ्यता का कोई भौतिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। 2. यह सभ्यता आज से केवल 3 हजार वर्ष पूर्व ही पनपी। 3. यह एक ग्रामीण सभ्यता थी। इस समय के अधिकांश लोग कृषक थे और वे मिट्टी तथा लकड़ी के बने मकानों में रहते थे | 4. वैदिक आर्यों की शासन पद्धति राजतन्त्रात्मक थी। राजा का पद पैतृक होता था। यद्यपि आरम्भ में सभा तथा समिति उसकी शक्ति पर नियन्त्रण रखती थीं, फिर भी कालान्तर में वह उनके प्रभाव से मुक्त हो गया था। उसके अधिकार भी काफ़ी विस्तृत थे। 5. आर्यों के परिवार पितृ-प्रधान होते थे तथा उस समय संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित थी। आर्य समाज जातियों ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र में विभाजित था। इसी प्रकार उन्होंने मनुष्य जीवन को भी चार आश्रमों ब्रहाचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संयास आश्रम में बांट रखा था। 6. आर्य लोगों के मनोरंजन के मुख्य साधन शिकार तथा रथ दौड़ में भाग लेना आदि बाहरी खेलें थे | 7. आर्यों में मूर्ति पूजा प्रचलित नहीं थी। वे खुली जगह में यज्ञ तथा मन्त्रों द्वारा अपने देवताओं की स्तुति करते थे। उनके जीवन में हवन, यज्ञ तथा अग्नि आदि का विशेष महत्त्व था। 8 आर्य लोगों का रंग गोरा था। ये लोग अपने शवों को दबाने के स्थान पर जलाना अधिक अच्छा समझते थे | 9. आर्य लोग लोहे का प्रयोग करना खूब जानते थे | उनके अस्त्र-शस्त्र लोहे के ही बने हुए थे। 10. आर्य युद्ध कला में बड़े निपुण थे। वास्तव में युद्ध करना तो उनके जीवन का वास्तविक अंग बन चुका था। उनके मुख्य शस्त्र तलवार, कवच और ढाल आदि थे अतः स्पष्ट है कि आर्य युद्ध प्रिय थें। 11. आर्यों का महत्त्वपूर्ण पशु गाय थी। उनके जीवन में घोड़े का विशेष महत्त्व था। 12. आर्यों के विदेशी व्यापार के विषय में हमारे पास कोई निश्चित प्रमाण नहीं है। वैदिक आर्यों को समुद्र मार्गों का भी ज्ञान था अथवा नहीं इस विषय में कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता। आर्य लोग बाटों के प्रयोग से अनभिज्ञ थे। सम्भवतः कुछ समय पश्चात उन्होंने इनका प्रयोग सीख लिया था। कुछ विद्वान का यह विचार भी है कि उत्तर वैदिक काल में आर्य विदेशी व्यापार करने लगे थे। 13. आर्यों ने हमें अनेक साहित्यिक ग्रन्थ प्रदान किए। उनके द्वारा रचित वेद अमूल्य साहित्यिक निधि हैं | उन्होंने दर्शन शास्त्र तथा साहित्य में विशेष प्रगति की हुई थी। |